प्रवीण प्रभाती - कर्नल प्रवीण त्रिपाठी

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' छड़ी मुबारक ' पूज कर, यात्रा करें विराम।

शिव नारों से गूंजता, अमरेश्वर का धाम।।

धरती पर आते शिवा, करने जग कल्याण।

श्रावण मास प्रवास कर, करते पुनः प्रयाण।।

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जब कभी नव लक्ष्य चुनिए बुद्धि से तब काम लें।

पूर्ति निज उद्देश्य को शिव शंभु का भी नाम लें।

आस सँग विश्वास करते कर्म को निष्फल नहीं।

कार्य हो जाये सफल तब आप कुछ विश्राम लें।

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हो सजग दिल से करें जब कार्य विघ्न हो कभी।

बन समर्थ शुरू करें हर काम पूरा हो तभी।

यदि कभी भी विघ्न आये याद गणपति को करें।

जब कृपा मिलती उन्हीं की लक्ष्य सधते हैं सभी।

- कर्नल प्रवीण त्रिपाठी, नोएडा/उन्नाव