प्रार्थना - कालिका प्रसाद

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प्रार्थना  भक्ति गीत है,

अर्चन है,  वन्दन  है,

हृदय  की  पुकार है,

ईश्वर को प्रसन्न करना है।

अपार आनंद का मार्ग है,

सबकी की मंगलकामना है,

सकारात्मक सोच पैदा होती है,

जीवन  मधुर  बनता  है।

शब्दों  की  माला   है,

वेदना के साथ पुकार है,

स्व से हटकर सोचते है,

विनम्रता जीवन में लाती है।

निस्वार्थ भाव से करनी है,

तल्लीन हो कर खो जाना है,

समष्टि के साथ जीने की सोच,

यही है प्रार्थना की यथार्थता।

- कालिका प्रसाद सेमवाल

मानस सदन अपर बाजार, रुद्रप्रयाग (उत्तराखंड)