"महिला काव्य मंच" ने की काव्य गोष्ठी आयोजित 

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vivratidarpan.com दिल्ली। अंतरराष्ट्रीय संस्था महिला काव्य मंच, दक्षिणी दिल्ली ज़िला इकाई  द्वारा मासिक ऑनलाइन डिजिटल काव्य- गोष्ठी का सफल आयोजन किया गया। गोष्ठी की अध्यक्षता आदरणीया श्रीमती निर्मला देवी अग्रवाल अध्यक्ष  दक्षिणी दिल्ली इकाई, महिला काव्य मंच द्वारा की गई।

कार्यक्रम का संयोजन श्रीमती सीमा अग्रवाल महासचिव दक्षिणी दिल्ली इकाई द्वारा सफलतापूर्वक किया गया। काव्य-गोष्ठी का संचालन श्रीमती चंचल हरेन्द्र वशिष्ट सचिव द.दिल्ली इकाई ने किया।

काव्य-गोष्ठी की अध्यक्षा श्रीमती निर्मला देवी अग्रवाल  ने काव्य-गोष्ठी की शुरुआत में ही 'महिला काव्य मंच' की विभिन्न जिला इकाइयों से पधारे सम्माननीय पदाधिकारियों सहित सभी उपस्थित कलमकारों का हार्दिक स्वागत किया। गोष्ठी का शुभारंभ चंचल हरेन्द्र वशिष्ट  ने अपने सुमधुर स्वरों से सजी अति सुंदर सरस्वती वंदना गाते हुए किया।  सभी प्रबुद्ध कवयित्रियों  की उपस्थिति में ऑनलाइन  काव्य गोष्ठी का शुभारम्भ किया गया। 

सर्वप्रथम श्रीमती प्रेम वर्षा सेठी कार्यकारिणी सदस्या दक्षिणी दिल्ली जिला इकाई ने  यथार्थ पृष्ठभूमि पर आधारित अपनी प्रभावी एवं  मार्मिक कविता "मंडराती परछाइयां" शीर्षक से प्रस्तुत की,जिसमें उन्होंने असमय आने वाली आकस्मिक  मर्मांतक पीड़ा को जग का शाश्वत सत्य बताकर समय की महत्ता को समझने का संदेश दिया-

समय की धारा कहां से कहां ले गयी

गुमान न था सपने में भी

आज पहुँच गये उदासी के भंवर में

आशाएँ थीं बहुत सी

सभी धराशायी हो गयी*

तदोपरांत तरुणा पुण्डीर 'तरुनिल' कार्यकारिणी सदस्य द.दिल्ली इकाई ने वन महोत्सव पर संदेशपूर्ण पंक्तियाँ सुनाकर अपनी सुरीली गजल कुछ इस प्रकार पेश की-

कभी चाह हमने न की थी तुम्हारी,

किया क्यों हमें बेकरारों में शामिल।

भिगोते रहे रात भर हम जो दामन,

हुआ पर न वो राज़दारों में शामिल।

*विनय पंवार अध्यक्ष नई दिल्ली जिला इकाई  महिला काव्य मंच, ने अपनी कविता में परमात्मा को संकेत बिंदु बनाकर अपनी  रचना कुछ इस प्रकार प्रस्तुत की-

तुमको देखते ही अक्सर,

मेरी मुस्कुराहट मचलने लगती है ,

नजरों में उभरने लगती है.

श्यामा भारद्वाज सह-सचिव नई दिल्ली जिला इकाई महिला काव्य मंच, ने अपनी मधुर आवाज में सुंदर कविता शीर्षक -"हौसलों की उड़ान" प्रस्तुत की-

उन्मुक्त उड़ानें जीवन की,

कुछ हुईं रही कुछ शेष बचीं,

प्राची कौशल सचिव पूर्वी दिल्ली इकाई 'महिला काव्य मंच' ने अपनी कविता में स्त्री और पुरुष के मन की बात बड़ी खूबसूरती से ललित शैली में सुनाई, जिसे सुनकर सभी उपस्थित श्रोतागण आत्ममुग्ध से हो गए।

कविता कुछ इस प्रकार थी-

कभी सोचता हूं मिलोगी तुम तो कैसा होगा?

बैठोगी संग, बतलाओगी,

कुछ कविता, मुझे सुनाओगी,

या सुनोगी, खामोशियां मेरी......

सोचती हूं तुम मिलोगे तो कैसा होगा?*

भावना भारद्वाज  महासचिव पूर्वी दिल्ली जिला इकाई, महिला काव्य मंच, द्वारा बहुत ही प्यारे अंदाज में,सावन के आगमन से पूर्व, शिव वंदना प्रस्तुत की गई -

*शंकरा ओ महादेवा शंकरा-

दो पुष्प और बेलपत्र चढ़ाने आया मैं।*

श्रीमती पुष्पा सिन्हा  सचिव दक्षिणी दिल्ली जिला इकाई,ने अपनी लघुकाय भावभीनी कविता "अरमान" सुनाकर सबके मन को आनंद से सराबोर कर दिया।

आँखें भर-भर आती हैं-

जब अरमानों की चिता जलती है,

दिल बैचेन हो जाता है-

जब खुशियों पर आँसू की बरसात होती है।

श्रीमती नूतन गर्ग उपाध्यक्ष, उत्तरी पूर्वी दिल्ली इकाई ने अपनी रोचक और हास्य व्यंग से भरपूर कविता "मोबाइल और मानव का वार्तालाप" को संवाद शैली सहित मस्त अंदाज में सुना कर परिवेश को मनमोहक बना दिया।

मैं तेरा मालिक, तू मेरा नौकर।

हा-हा-हा-हा..*

मीनाक्षी भसीन महासचिव दक्षिणी पश्चिमी जिला इकाई 'महिला काव्य मंच', ने अपनी कविता के माध्यम से "मानव और मोबाइल" की नजदीकियों का पर्दाफाश खूबसूरत अंदाज में  किया। 

तुम्हारा फ़ोन बन जाउं, तमन्ना है मेरे दिल की,

बस तुमसे दूर न जाउं, तमन्ना है, मेरे दिल की,

तुम्हारी जेब से हाथों तक गुजरता हो सफर मेरा,

तुम्हारी याद बन जाउं, तमन्ना है मेरे दिल की.             

सब की फरमाइश पर मीनाक्षी  ने माहिये भी सुनाएं।

जैसे-

तुमसे मेरा मिलना,

तपती दुपहरी में,

जैसे फूलों का खिलना,

"सांप सीढ़ी" नामक प्रतीकात्मक कविता सुना कर तो उन्होंने गोष्ठी में चार चांद ही लगा दिये।

*भूपिंदर कौर अध्यक्ष मध्य दिल्ली जिला इकाई 'महिला काव्य मंच' ने अपने खूबसूरत अंदाज़ में "डिजिटल दुनिया और मोबाइल" की माया पर विशेष जोर देते हुए अपनी सुंदर कविता सुना कर सबको मंत्रमुग्ध कर दिया।

बधाई से लेकर शहनाई तक,

मौत से लेकर जुदाई तक,

प्यार से लेकर तन्हाई तक,

सब डिजिटल हो गए l

विजयलक्ष्मी शुक्ला उपाध्यक्ष, नई दिल्ली जिला इकाई 'महिला काव्य मंच' ने अपनी खूबसूरत गजल सुना कर वातावरण को खुशनुमा बना दिया। जिंदगी के सही मायने समझा कर अपनी ग़ज़ल शीर्षक "ग़जल जिंदगी की" के माध्यम से विजयलक्ष्मी जी ने सभी को प्यारा सा संदेश भी दिया।

ज़िन्दगी प्यार की एक सुरीली गज़ल,

गुनगुनाने का इसको हुनर चाहिए।

श्रीमती सीमा अग्रवाल महासचिव दक्षिणी दिल्ली जिला इकाई, 'महिला काव्य मंच', ने अपनी प्रस्तुति अपनी कविता शीर्षक - "तुम्हारी यादों में मैं" सुनाकर सबके दिलों पर पल भर में ही राज कर लिया।

कभी मिलना मुझे,तो बताना,

कैसी गुजरी हूं तुम्हारी यादों में मैं, 

कभी मिलना मुझे, तो बताना,

कैसे गुजरे हो तुम! उन गलियों में मेरे बिन,

श्रीमती चंचल हरेंद्र वशिष्ट, सह सचिव,  दक्षिणी दिल्ली जिला इकाई, महिला काव्य मंच ने सुरीले स्वरों में अपनी कविता "बरसें मेघा" सुनाकर सब पर अक्षुण्ण प्रभाव छोड़ा।

मेघा बरसें, मनवा तरसे, रिमझिम फुहार में-

बारिश देख बरसती आँखे तेरे इंतज़ार में,

सावन आया, तू भी आजा ओ बालम हरजाई-

देख निकल जाए न रुत ये यूँ ही इंतज़ार में।

श्रीमती पूनम तिवारी  अध्यक्ष उत्तर पूर्वी दिल्ली जिला इकाई, महिला काव्य मंच, ने मंच पर अपनी गरिमापूर्ण उपस्थिति देते हुए प्रभावी शैली में अपनी सुंदर कविता सुना कर चंचल मन के बारे में अपने विचार व्यक्त किये।

चंचल मन भाग रहा है-

इसको कैसे रोकू मैं?*

डा.अंजु लता सिंह उपाध्यक्ष दक्षिणी दिल्ली जिला इकाई ने अपने बाल गीत के माध्यम से समा बांध दिया। अपने गीत शीर्षक-"हम बच्चे लाजवाब हैं" लयबद्ध तरीके से सुनाकर उन्होंने देश के प्रतिभावान बालकों को लाजवाब बताकर राष्ट्र के भविष्य को समुज्ज्वल बताया।

हम बच्चे कल की आशा हैं लाजवाब हैं ,लाजवाब हैं,

हम चंपा हैं, हम जूही हैं, गैंदा, गुड़हल और गुलाब हैं ...

नैनों के हम नूर कहाएं, मां बाबा के मधुर ख्वाब हैं.

हम बच्चे कल की आशा हैं, लाजवाब हैं ,लाजवाब हैं.

गोष्ठी के समापन दौर में *श्रीमती निर्मला देवी अग्रवाल जी, अध्यक्ष दक्षिणी दिल्ली जिला इकाई, 'महिला काव्य मंच' ने अपनी गंभीर भावों से युक्त कविता शीर्षक "बदलते दौर में" सुना कर सबको चिंतन मनन के लिए मजबूर कर दिया।

आज के बदलते दौर में हमने अपने बुजुर्गों को ये कहते सुना है-

अफसोस  कि जिन फूलों के लिये कांटों के मुसलसर वार सहे,

वो फूल हमीं से कहते हैं गुलशन में बसेरा मुश्किल ही।

गोष्ठी में शामिल सभी कलमकार कवयित्रियों की रचनाएं विभिन्न  रोचक विषयों पर आधारित रहीं।  सभी ने अलग-अलग विषयों पर बेहद भावपूर्ण रचनाएं प्रस्तुत कीं।

इस गोष्ठी की महत्वपूर्ण बात यह थी, कि इसमें महिला काव्य मंच की विभिन्न इकाईयों के बहुसंख्यक पदाधिकारी रचनाकार शामिल हुए और काव्य गोष्ठी की शोभा बढ़ाई। सभी ने अपनी सुंदर रचनाओं से  श्रोताओं का मन मोह लिया।

कार्यक्रम के समापन दौर में दक्षिणी दिल्ली इकाई की उपाध्यक्ष डा. अंजु लता सिंह जी ने गोष्ठी में प्रस्तुत की गई रचनाओं की भूरि-भूरि प्रशंसा की एवं सटीक समीक्षाएं प्रस्तुत करते हुए सभी कलमकारों को उनकी अत्युत्तम  प्रस्तुतियों  हेतु हार्दिक धन्यवाद दिया।

निर्मला अग्रवाल  की अध्यक्षता में गोष्ठी प्रभावी एवं सफल रही।

ध्यातव्य है, कि परम सम्माननीय श्रीमती नीतू सिंह राय उपाध्यक्ष- महिला काव्य मंच एवं प्रभारी दिल्ली, उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड, के सुनियोजित निर्देशन तथा आदरणीय ममता किरण जी,संरक्षक दिल्ली प्रदेश के समुचित मार्गदर्शन एवं अमूल्य सुझावों के परिप्रेक्ष्य में  यह काव्य गोष्ठी सफलता पूर्वक संपन्न हो सकी।