पिया-मिलन = विनोद शर्मा विश
अपने पिया से तुम क्यों रूठकर चली गई बता देना,
#पिया #मिलन का वो एक पल,पलभर लौटा देना।
तुम रूठ कर #ख़्वाबों में मेरे आना न छोड़ना ,
जितना भी #रंज ओ #ग़म हो दूर ही रखवा देना।
इंतजार है तुम्हारा #भू से उठाकर ले जाना,
तुम मुझे #आजमाना छोड़कर न भुला देना,
ताकता रहता हूँ #अम्बर की ओर होके मजबूर,
तुम मेरे #हौसलों को परखना छोड़ ना देना।
तुम #जुदाई यूँ और आगे ही आगे न बढ़ाना,
मेरे #दर्द पर जरा सी #औषधि तो लगा देना।
बुलालो #धरा से पास अपने सताना छोड़ दो,
तुम्हारी #बाहें पकड़ लूँगा एक बार तो फैला देना।
#पिया_मिलन भी तो हुआ था कभी अम्बर के नीचे,
उसी अम्बर से तुम देखकर एक बार मुझे हँसा देना।
रेखाओं को न गिनो ओ मेरी प्रियतम #रेखा,
#विनोद की बेबसी पे थोड़े #आंसू बहा देना।
कुछ लिख देता हूँ याद कर कर तुम्हारे #नग्में,
तुम ग़जल,गीत,कविता का दे #हर्जाना देना।
# विनोद शर्मा विश, दिल्ली