नव वर्ष - रूबी गुप्ता

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आता है प्रति वर्ष,

और चला जाता है।

जाने कितने अपनो को बेगाना  ,

और बेगानों को

अपना बना जाता है।

कभी खुशियाँ लाता है ,

और कभी

गमगीन शाम

दे जाता है।

यह नव वर्ष, हर वर्ष आता है।

हम चलते रहते हैं इसके चक्र के साथ,

कभी ख़ामोश होकर कभी खुद से करके बात।

मगर कब तक पता नहीं ,

यह कभी नही बताता है।

यह साल  बस ऐसे  ही आता है।

नववर्ष  ऐसे ही आता रहेंगा ,

बनाता रहेगा अनवरत किस्से,

जाने क्या लाएगा अपने हिस्से।

कभी हम देखकर होंगे खुश,

और यह हमें 

नव पल्लवित अहसास कराएगा।

यह वर्ष बार बार आएगा।

ऐसे ही किसी शाम को,

मन या बेमन से,

ये वक्त हमें अपने साथ ले जाएगा,

सफ़र पुरी होगी जिंदगी की,

हाँ लेकिन तब भी,

हर वर्ष,

यह नववर्ष आएगा।।

- रूबी गुप्ता कुशीनगर, उत्तर प्रदेश ।