कभी खुद से बात करो = पूनम शर्मा 

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बैठ तन्हाई में चंद यादों से मुलाकात करो,

दो वक्त खुद को , कभी खुद से बात करो।

माना व्यस्त बड़ी है ये जिंदगी तुम्हारी,

देख आईना कभी खुद से ही प्यार करो।

बहुत रख लिया सभी का ख्याल तुमने,

मुस्कान से आज खुद का भी श्रृंगार करो।

ऐसी तो ना थी सखी तुम पहले कभी ,

अब तो हाल-ए-दिल का इजहार करो।

माना सभी को देख खुश हो जाती हो तुम,

आज खुद के नाम  वक्त दो -चार करो।

गीत याद है तुम्हें जो गुनगुनाती थी अक्सर,

आज लबों से उन गीतों का फिर उच्चार करो।

पुष्पों सी खिली रहती थी हर पल तुम ,

वो शोखी,शरारत आज फिर एक बार करो।

वक्त का क्या है यह तो गुजरता ही रहेगा,

वक्त से वक्त चुराकर खुद पे उपकार करो।

भुला दिया तुमने जाने क्यों खुद को इस कदर,

झरोखों से परदे हटा उजाला इक बार करो।

बैठ तन्हाई में चंद यादों से मुलाकात करो,

दो वक्त खुद को कभी  खुद से बात करो।।

= पूनम शर्मा स्नेहिल, गोरखपुर (उत्तर प्रदेश)