नज़्म - रूपल उपाध्याय 

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मोहब्बत भरी आंखों से कुछ और सुंदर नहीं होता

ना बहते अश्क नदियों के, तो ये समुंदर नहीं होता ।

दो दिल जब प्रेम करे, तो वो, नफा नुकसान ना देखे

प्यार में मोल भाव, दुनिया दिखावे सा मंज़र नहीं होता।

लोगों का क्या हैं, कहते हैं और कहते रहे, वो बेहतर नहीं

तराजू में तौले अपने दिलबर को, ऐसा हुनर नहीं होता ।

हिम गिरी के परबत हो या सोने सा दमकता रेगिस्तान

ख्वाब में भी हमसफ़र के बिन, कोई सफर नहीं होता ।

इंतजार में कट रहे हो पल और दीदार दूर तलक नहीं

मेहबूब कि बेख्याली से घातक कोई ख़ंजर नहीं होता ।

बाजुओं के तकिए पर नींद का घंटो आगोश में ले लेना

लबों की सीलन से बढ़कर कोई मीठा ज़हर नहीं होता ।

मन की सुंदरता को परख चाहने वाले को ' मन बंजारा'

दुनिया की तोहमतों और बेरुखी का दीदार नहीं होता ।

- रूपल उपाध्याय ' मन बंजारा' , बड़ोदरा, गुजरात