महिला काव्य मंच दिल्ली की मासिक गोष्ठी सम्पन
vivratidarpan.com दिल्ली। मध्य दिल्ली इकाई की मासिक काव्य गोष्ठी गूगल मीट पर सफलता पूर्वक संपन्न हुई। गोष्ठी की अध्यक्षता डॉ. भूपिंदर कौर ने की। संचालन अनुपमा गुप्ता द्वारा बहुत ही प्रभावी ढंग से किया गया। गोष्ठी की शुरुआत विधिवत ढंग से सभी अतिथियों के स्वागत से हुई। फिर मां शारदे की स्तुति कुसुम लता कुसुम जी द्वारा बहुत ही मधुर कंठ से हुई। गोष्ठी में जिन कवयित्रियों ने भाग लेकर अपनी रचनाओं से हमें भावविभोर किया।
पुष्पिंदरा चगती भंडारी (अध्यक्ष पश्चिमी दिल्ली) ने कविता पाठ करते हुए पढ़ा -
काश ! कभी ऐसा हो जाये
भीगा मन हो
और मैं टांग दूँ अलगनी पर
तुम सुबह की धूप बन कर
मेरे आँगन आ जाओ ।।
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परछाईंयों की गिरफ्त से रिहाई
शायद हो भी सकती हो ....
सरिता गुप्ता (उपाध्यक्ष शाहदरा) ने कहा -
जेठ दुपहरी तप रही, उस पर लू की मार।
पर बच्चे मजदूर के, पड़े नहीं बीमार।।
विभा राज वैभवी का अंदाज़े-बयां
मैं तो खुली किताब हूं पढ़ लो ज़रा मुझे,
ना चीज़ हूं कि चीज़ हूं,परखो ज़रा मुझे
स्नेह लता पांडे ने कुछ अलग अंदाज़ में पढ़ा -
ज़िंदगी की यही तो खास अदा है,
हर सफर हर गली एक नई इम्तिहां है।
कदम-कदम पर सरप्राइज टेस्ट लेती है,
कभी पास तो कभी फेल कर देती है।
अनुपम गुप्ता (मध्य दिल्ली) कहा -
मन आज फिर क्यों घकुपित हो रहा है,
इतना दुखी , इतना क्यों रो रहा है
सुख_दुख के मिलन से ये खुद रो रहा है।
कुसुम लता 'कुसुम ने श्रोताओं को कहा -
सच में कितने दूर हुए हम,
कौन बता सकता था ऐसे।
संग तुम्हारे हम रहते थे,
देह के साथ में साया जैसे।
डॉ. भूपिंदर कौर ने अपनी बात श्रोताओं तक यूं पहुंचाई -
एक दिन उसने सुना,
वह कह रही थी
क्या कहा ?
तुम्हारी कामवाली नहीं आई ?
अरे इसे ले जा
और वह
एक रिश्तेदार के घर से,
दूसरे भी रिश्तेदार के घर,
उनकी नौकरानी बन,
सबके काम निपटा,
अपनी
दिवाली की छुट्टियां
मना आई ।
गोष्ठी में अपने अध्यक्षीय संबोधन में डाॅ.भूपिंदर कौर जी ने सभी प्रतिभागी कवयित्रियों का धन्यवाद देते हुए सभी की कविताओं की भूरि भूरि प्रशंसा की ।साथ ही नीतू सिंह राय (उपाध्यक्ष महिला काव्य मंच / प्रभारी दिल्ली, उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड़) के कुशल मार्ग दर्शन में, डॉ. भूपिंदर कौर (अध्यक्ष मध्य दिल्ली इकाई) की अध्यक्षता में ये काव्य गोष्ठी सफलतापूर्वक संपन्न हुई। (- डॉ. भूपिंदर कौर दिल्ली से )