महिला काव्य मंच दिल्ली की मासिक काव्य गोष्ठी सम्पन्न

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Vivratidarpan.com, दिल्ली। महिला काव्य मंच दक्षिणी दिल्ली इकाई की मासिक ऑनलाइन काव्य गोष्ठी दिनांक 13 नवम्बर , 2021को अपराह्न 4 बजे से आयोजित की गयी। आयोजित की गयी। गोष्ठी का आयोजन श्रीमती निर्मला देवी (अध्यक्ष, दक्षिणी दिल्ली इकाई) की अध्यक्षता में किया गया। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि के रूप में सुश्री ममता किरण जी, (संरक्षक, महिला काव्य मंच रजि० न दिल्ली ) द्वारा प्राप्त शुभकामना संदेश से काव्य गोष्ठी को आरंभ किया गया।

कार्यक्रम का संयोजन और संचालन श्रीमती चंचल हरेंद्र वशिष्ठ , सचिव दक्षिणी दिल्ली इकाई एवं श्रीमती तरुणा पुंडीर कार्यकारिणी सदस्य दक्षिणी दिल्ली इकाई के सहयोग द्वारा बहुत ही सुन्दर एवं सुव्यवस्थित ढंग से किया गया।

गोष्ठी का आरंभ सभी पदाधिकारियों एवं सदस्यों के स्वागत से किया गया तत्पश्चात संचालिका श्रीमती चंचल हरेंद्र वशिष्ठ (सचिव दक्षिणी दिल्ली इकाई ) द्वारा माँ शारदे का आह्वान करते हुए कार्यक्रम का शुभारंभ विद्या की अधिष्ठात्री देवी माँ सरस्वती की सुमधुर वंदना , ' हे ! विद्या दायिनी माता, हे ! ज्ञान प्रदायिनी माता, जो भी तेरी शरण में आता, मनचाहा वर पाता.'  से किया गया।

काव्य गोष्ठी में सभी इकाई के पदाधिकारियों सहित अन्य सदस्यों ने भी प्रतिभागिता की और एक से बढ़कर एक शानदार रचनाओं की मनमोहक प्रस्तुति दी। काव्य गोष्ठी में भाग लेने वाली कवयित्रियों ने विभिन्न विषयों एवं भावों की प्रभावी रचनाएँ प्रस्तुत की।

अर्चना वर्मा जी ने कार्यक्रम का आरंभ करते हुए पढ़ा -

"बिना कपट पर पीडा़ से जो बहते होंगे ,

गंगाजल उन अश्कों को ही कहते होंगे।"

श्रीमती श्यामा भारद्वाज ने सुंदर ग़ज़ल कही-

"मेरे जीवन की सजी क्यारी तुमसे |

देखे जो हसीं सपने बने फुलवारी तुमसे |"

सुश्री तरुणा पुंडीर' तरुनिल' ने रामकथा पर मुक्तक सुना कर वातावरण को भक्तिमय कर दिया-

"राम ही श्वास है, राम प्रश्वास है,

जग के कण-कण में भी राम का वास है"

सुश्री प्रेम वर्षा सेठी ने सुंदर शब्दों में जीवन की व्याख्या की -

"हे मानव तुझको चलना होगा नदी की धारा से सीखना होगा नदिया चलती निरंतर अबाध गति से रास्ते के पत्थर उनको तोड़ती हुई हटाती हुई।"

प्रसिद्ध गज़लगो सुश्री इंदु मिश्रा 'किरण' कहती हैं -

"चाँदनी रात में बैठकर ,एक ग़ज़ल गुनगुनाती रही,

तुम न आए कभी लौटकर , मैं तो अकसर बुलाती रही।"

तत्पश्चात अंजु लता सिंह ने आयोजन की संचालिका चंचल हरेंद्र वशिष्ट को काव्य पाठ करने के लिए बुलाया।

सुश्री चंचल हरेंद्र वशिष्ट ने हाथ की उंगलियों पर वर्तमान स्थिति पर लिखी अद्भुत रचना पढ़ी।

"अथक... खेलती रहती हैं...

सारा सारा दिन... कई कई घंटे...

चलती रहती हैं...अनवरत....

जब देखो, कभी भी... रुकती नहीं,कहीं भी..."

सुश्री मीनाक्षी भसीन कहती हैं-

"मेरे दिल में रहो धड़कनों की तरह

तुम चमकते रहो जुगनुओं की तरह"

डॉ.अंजु लता सिंह 'प्रियम' जीवन का ही लेखा जोखा बयान करती हैं-

"जीवन सुख दुःख का संगम है-

कभी ज्यादा और कभी कम है,

हर पल हम प्रभु को याद करें-

तन मन में तभी तो दमखम है."

अंत में कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही दक्षिणी दिल्ली इकाई की अध्यक्षा ने अपनी दार्शनिक भाव से ओत-प्रोत रचना 'मेरे लिए जीवन का मतलब साँसों का चलना और दिल का धड़कना ही नहीं केवल..... सुना कर सब को आत्मविभोर कर दिया।

सभी कवयित्रियों की इंद्रधनुषी रंगों में सराबोर सुंदर रचना एवं भावपूर्ण अभिव्यक्ति से वातावरण मानों एक उत्सव में परिवर्तित हो गया। काव्य गोष्ठी के अंत में अध्यक्ष महोदया के उद्बोधन और अनुपम रचना ने कार्यक्रम को उत्कृष्टता प्रदान की। उन्होंने सभी की सुंदर रचनाओं की ख़ूब सराहना की। कार्यक्रम का समापन डॉ अंजु लता सिंह के धन्यवाद ज्ञापन के साथ किया गया। इस प्रकार अध्यक्ष निर्मला देवी जी एवं उपाध्यक्ष डॉ अंजु लता सिंह 'प्रियम' के कुशल दिशा निर्देशन में ये गोष्ठी सफलता पूर्वक संपन्न हुई।‌ यह पूरा आयोजन  नीतू सिंह (उपाध्यक्ष, महिला काव्य मंच रजि०दिल्ली, उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड) एवं  ममता किरण (संरक्षक, महिला काव्य मंच रजि०, दिल्ली प्रदेश) के  मार्गदर्शन में किया गया।