महिला काव्य मंच दिल्ली ने आयोजित की ऑनलाइन काव्य गोष्ठी
vivratidarpancom दिल्ली। महिला काव्य मंच दक्षिणी दिल्ली इकाई की मासिक ऑनलाइन काव्य गोष्ठी अपराह्न 3 बजे से आयोजित की गयी। गोष्ठी का आयोजन श्रीमती निर्मला देवी (अध्यक्ष, दक्षिणी दिल्ली इकाई) की अध्यक्षता में किया गया। कार्यक्रम का संयोजन श्रीमती सीमा अग्रवाल, महासचिव दक्षिणी दिल्ली इकाई एवं संचालन श्रीमती तरुणा पुंडीर कार्यकारिणी.सदस्य दक्षिणी दिल्ली इकाई द्वारा बहुत ही सुन्दर एवं सुव्यवस्थित ढंग से किया गया।
गोष्ठी का आरम्भ करते हुए सभी पदाधिकारियों एवं सदस्यों का स्वागत किया गया. तत्पश्चात संचालिका तरुणा पुंडीर ने श्रीमती चंचल हरेंद्र वशिष्ट, सचिव दक्षिणी दिल्ली इकाई को माँ सरस्वती की वंदना के लिए आमंत्रित किया और इस प्रकार कार्यक्रम का शुभारंभ चंचल हरेंद्र वशिष्ट के द्वारा विद्या की अधिष्ठात्री देवी माँ सरस्वती की सुमधुर वंदना 'माँ शारदे तुम्हारी वंदना को आ गई..' से किया गया। काव्य गोष्ठी में सभी इकाई के पदाधिकारियों सहित अन्य सदस्यों ने भी प्रतिभागिता की और एक से बढ़कर एक शानदार रचनाओं की मनमोहक प्रस्तुति दी।
काव्य गोष्ठी में भाग लेने वाली कवयित्रियों की विभिन्न विषयों एवं भावों की प्रभावी रचनाएँ कुछ इस प्रकार रहीं;
*मुझे किश्तों में नहीं जीना अब..,
किश्तों में तो बे-शुमार ज़िंदगी बसर की ;
सुश्री ऋतुमाला( कार्यकारिणी सदस्य दक्षिणी दिल्ली इकाई)
*एक चुटकी सिंदूर का फ़र्ज़ वह यूँ निभाती है,
तेरे मकान को घर बनाती है।
श्रीमती पुष्पा सिन्हा (सह सचिव दक्षिणी दिल्ली इकाई)
*बह रही है काव्य सरिता ,बन सरस रसधार सी।
वह ऋणी है आज भी, दिनकर के उपकार की।।
सुश्री अर्चना वर्मा (सचिव, शाहदरा इकाई)
*कम कर दिया है मुस्कुराना,
रिश्तों को समझने लगी हूँ मैं कुछ ज्यादा।
सुश्री प्राची कौशल( सचिव,पूर्वी दिल्ली इकाई)
*राष्ट्र संघ में जाकर जिसने, भारत को सिरमौर किया,
वही राष्ट्र भाषा हिंदी है,सबका गौरव मान किया।
श्रीमती श्यामा भारद्वाज ( सह सचिव, नई दिल्ली इकाई)
*दशरथ के आँखो के तारे, कौशल्या माँ के प्यारे,
लखन संग राम चले, सिया संग राम चले।
श्रीमती सीमा अग्रवाल (महासचिव, दक्षिणी दिल्ली इकाई)
*सदा बोझ रिश्तों का ढोते रहे जो,
बुढ़ापे में हैं वो ही अक्सर अकेले।
सुश्री इंदु मिश्रा'किरण' (उपाध्यक्ष,उत्तरी पश्चिमी दिल्ली इकाई)
*मैं हिंद देश की हिन्दी हूँ, दहलीज पे आज खड़ी हूँ।
श्रेष्ठ विदेशी भाषा हो गयी,असमंजस में पड़ी हूँ।
श्रीमती कुसुम लता'कुसुम' (उपाध्यक्ष, पश्चिमी दिल्ली इकाई)
*गुणों की ऐसी पराकाष्ठा देखी कहीं,
राम होना इतना भी आसान नहीं....।
श्रीमती उर्मिल गुप्ता (उपाध्यक्ष, दक्षिणी पश्चिमी दिल्ली इकाई)
*तेरे विरह की रात अब कटती नहीं मैं क्या करूँ।
प्रिय के मिलन की आस ले जगती रही मैं क्या करूँ।
सुश्री स्नेह लता पांडेय ( उपाध्यक्ष, मध्य दिल्ली इकाई)
*गणपति बप्पा घर में आए, देख सभी का मन हरषाए,
करूं यह विनती हाथ जोड़कर ,सुख समृद्धि घर में आए।
श्रीमती सरिता गुप्ता( उपाध्यक्ष, शाहदरा दिल्ली इकाई)
*सोने का पिंजरा.....यह वह पिंजरा है,
जहां रह तो सकते हो, सारे काम कर सकते हो,
उनकी मर्जी से, लेकिन....अपनी मर्जी से,उड़ नहीं सकते ।
डॉ भूपिंदर कौर (अध्यक्ष मध्य दिल्ली इकाई)
*देश का है अभिमान,माँ के है वह समान,
कर्णप्रिय अभिराम, भाषा हमें प्यारी है।
सुश्री तरुणा पुंडीर'तरुनिल'(का.सदस्य, दक्षिणी दिल्ली इकाई)
*बर्फ़ और मोम की तरह पिघलती हूं,फिर भी कभी न मिटती हूँ,
ढल जाती हूं वैसे ही जैसे चाहो, तुम्हारे अनुरूप रूप बदलती हूँ।
श्रीमती चंचल हरेंद्र वशिष्ट (सचिव, दक्षिणी दिल्ली इकाई)
*आओ सब हिंदी में बोलें,बस इसके ही हो लें
हिलमिल डोलें...
*मौसम गजब हुआ रे, बूंदें रिमझिम, यादें झिलमिल
मन बेसबब हुआ रे, मौसम गजब हुआ रे...
डॉ.अंजु लता सिंह'प्रियम'
आज के इस बदलते दौर में हमने बुजुर्गों को यह कहते सुना है
कि अफ़सोस जिन फूलों से बच्चों के लिए हम काँटों की चुभन भी सहते रहे........।
निर्मला देवी (अध्यक्ष दक्षिणी दिल्ली इकाई)
सभी कवयित्रियों की इंद्रधनुषी रंगों में सराबोर सुंदर रचनाओं एवं भावपूर्ण अभिव्यक्ति से वातावरण मानों एक उत्सव में परिवर्तित हो गया। काव्य गोष्ठी के अंत में अध्यक्ष महोदया के उद्बोधन और अनुपम रचना ने कार्यक्रम को उत्कृष्टता प्रदान की। उन्होंने सभी की सुंदर रचनाओं की ख़ूब सराहना की। कार्यक्रम का समापन डॉ अंजु लता सिंह के धन्यवाद ज्ञापन के साथ किया गया। अध्यक्ष निर्मला देवी एवं उपाध्यक्ष डॉ अंजु लता सिंह 'प्रियम' के कुशल दिशा निर्देशन में ये गोष्ठी सफलता पूर्वक संपन्न हुई। यह पूरा आयोजन आदरणीया नीतू सिंह राय (उपाध्यक्ष,महिला काव्य मंच रजि०दिल्ली, प्रभारी-उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखण्ड) एवं आदरणीया ममता किरण (संरक्षक, महिला काव्य मंच रजि०, दिल्ली प्रदेश) के मार्गदर्शन में सफलतापूर्वक किया गया।