जादूगर = किरण मिश्रा
Jul 15, 2021, 00:00 IST
| उफ्फ....
तुम्हारी खुशबू.... !
याद आते ही महक उठती हूँ
क्यूँ मैं.. रजनीगन्धा सी....
तेरे अहसासों .
की चाँदनी में लिपट
वसन्तमालिका सी थरथरा उठती हैं
क्यूँ...मेरी ये कोमल साँसे...
खिल उठते हैं... होंठ
भीगे कमलपाटल सदृश..
और रूह महकती है...
गुलाब की पंखुड़ियों.. सी....
उफ्फ....
ये तेरी यादों का नशा है...
नीले जादूगर.... या फिर काला जादू...
मुझ पर..तेरा......
बताओ ना जादूगर...
क्यूँ मैं ...
नीलकमल सी खिल उठती हूँ....
हर सुबह... तुम्हारी यादों से.......!!
= किरण मिश्रा "स्वयंसिद्धा" , नोएडा