लिम्का बुक में दर्ज हुआ साहित्यकार डॉ0 गुलशन का नाम
Vivratidarpan.com बहराइच (उत्तर प्रदेश) | बहराइच निवासी साहित्यकार एवं क्षेत्रीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी डॉ० अशोक पाण्डेय 'गुलशन' के नाम 57 वर्ल्ड रिकार्ड हो गये | लिम्का बुक ऑफ़ रिकार्ड्स में उनके द्वारा वर्ष 1990 से 2020 तक भारतीय डाक से प्राप्त 655 नाम के 12634 हिन्दी अख़बारों के संग्रह जिनमें कुछ विदेशी अख़बार भी सम्मिलित हैं , का रिकार्ड लिम्का बुक ऑफ़ रिकार्ड्स के 2020-2022 संस्करण में प्रकाशित हो गया|
साहित्य के क्षेत्र में 56 वर्ल्ड रिकार्ड उनके नाम पहले से दर्ज़ हैं जिसमें सबसे छोटी ग़जल लेखन के 21, लम्बी ग़जल के लिये 10 रिकॉर्ड हैं।
इसी के साथ उनके द्वारा कही गयी यूनिक ग़ज़ल को वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकार्ड्स लन्दन में शामिल किया गया है तथा बड़ी ग़ज़ल को गोल्डेन स्टार वर्ल्ड रिकार्ड, सुप्रीम वर्ल्ड रिकार्ड्स एवं यूनिक वर्ल्ड रिकार्ड में दर्ज किया गया है|
डॉ० अशोक ‘गुलशन’ द्वारा लिखित सबसे बड़ा, सबसे लम्बा और यूनिक गीत डायमंड वर्ल्ड रिकार्ड्स एवं नमो बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स में एवं एक वर्ष में सबसे अधिक सम्मान प्रमाण पत्र पाने का रिकार्ड कोहिनूर वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकार्ड्स, इंटरनेशनल वन्डर बुक ऑफ़ रिकार्ड्स में तथा साहित्य के क्षेत्र में सबसे अधिक (367) सम्मान पाने का रिकार्ड इनफिनिटी बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड, ओ एम जी बुक ऑफ रिकॉर्ड ,डायनेमिक रिकार्ड बुक एवं हौसला वर्ल्ड रिकार्ड क्लब्स में प्रवेश मिला है तथा उनके दोहा ग़जल को क्रीडेंस बुक ऑफ़ रिकार्ड्स, रॉयल सक्सेस इंटरनेशनल बुक ऑफ़ रिकार्ड्स, यूनिवर्सल रिकार्ड्स फोरम, हाई रेन्ज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स, वृक्षा बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड, एशियन वर्ल्ड रिकॉर्ड एवं वज्र वर्ल्ड रिकार्ड में दर्ज किया गया है| अब तक 1453 सम्मान, पुरस्कार, उपाधियों एवं प्रशस्ति पत्रों से सम्मानित डॉ0 गुलशन की 25 पुस्तकें प्रकाशित हैं और उन्हें साहित्यिक सेवाओं हेतु 09 ऑनरेरी डोक्टोरेट 04 डी0 लिट्0 सहित 32 देशों से 521 तथा चिकित्सकीय एवं सामाजिक सेवाओं हेतु 39 ऑनरेरी डोक्टोरेट, 01 डी0 लिट्0 सहित 45 देशों से 932 सम्मान, पुरस्कार, उपाधियाँ एवं प्रशस्ति पत्रों से सम्मानित किया गया है |
डॉ0 गुलशन विगत 45 वर्षों से साहित्य सृजन कर रहे हैं और उनके साहित्यिक योगदान पर लखनऊ विश्वविद्यालय की छात्रा ने एम0फिल0 किया है तथा बुंदेलखंड विश्विद्यालय के पीएचडी के शोध ग्रंथ में उनकी छोटी बहर की ग़ज़ल सम्मिलित की गई है।