सबक = जया भराडे बदोड़कर

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करवट ले रही हैं,

दुनिया देखो कैसी।

मिट रहे है निशां देखो,

जो थे गुनाह इंसानो के।

समुंदर पे उड़ते पंछी,

खुशियों मे कलरव कर रहे है।

मुस्काते फूल भी अब,

जीवन को समझा रहे है।

संकट आया था एक सभी पर,

नही हार फिर भी मानी,

इंसानो ने थी ठानी,

आत्म विश्वास से सभी ने,

इक दूसरे का साथ निभाया।

कोरोना काल का था बवंडर जो,

शामत, सबकी समस्या,

जो बन गया था।

आज मिल-जुलकर सभी ने,

विश्व को असली सुख चैन,

का चेहरा है दिखाया।

पाया है सभी ने सुकून अब,

रहस्य जीवन का ईश्वर ने,

जो था सबसे छुपाया।

= जया भराडे बदोड़कर, नवी मुंबई