इश्क़ का बहेलिया ...
दिल शिकार कर गया...
नाचे मन छनन-छनन
बागा की मयूरिया ...!
कल-कल जमुना का नीर..
मन्द-मन्द बहे समीर...
स्वागत गीत गा रही
आम पर कोयलिया....!
खग-वृन्द अति मगन
चूमते गगन-गगन.....
दसो दिशाये महका रहीं
पुष्प की मंजरिया..!
रास रचा अंग-अंग
छेड़ रही मन मृदंग
सुर तरंग बजा रही..
राधे की पायलिया....!
वृन्दावन अति अंनद
देख कर मुखारविन्द,
सुध-बुध बिसारि दीन्ही
कृष्णा तोरी मुरलिया..!!
= किरण मिश्रा #स्वयंसिद्धा, नोएडा