खुशी - जया भरदे बड़ोदकर 

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दिल मे तभी होती है,

जब चारो ओर,

प्रकृति की सुंदर,

प्रतिमा दिखती हैं।

अज्ञान अंधकार का,

ज्ञान के प्रकाश में,

बदलता है।

सभी लोगों को,

एक नजर में भाता है।

वो दिन हो या रात,

सदा ही दिल में,

सुकून बनके रहता है।

फूलों मे भी तब,

मुस्कान दिखती हैं,

दुःख में हो या दर्द मे,

सहन करने की सुंदर,

शक्ति पाता है।

अंतर्मन को छूकर,

पारस सा जीवन को,

शुद्ध सोना बनाता है।

सत्य यही है,

सुंदर जो संसार में दिखता है

- जया भराडे बडोदकर,

कमोथे , नवी मुंबई (महाराष्ट्र)