कविता  - जसवीर सिंह हलधर

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आगमन नव वर्ष का हम प्यार के दीपक जलाएं ।

घिर रहा जो हर दिशा में उस अँधेरे को मिटाएं ।

बादलों में रवि ढला है साँझ के होने से  पहले ।

शीत नर्तन कर रहा है गर्मियां बोने से पहले ।

प्रेम  के दीपक मधुर पल पल विखेरें चाँदनी को ।

शब्द में से छंद निकले और गाएँ रागिनी को ।

भूमि से नभ को दिखाएँ चाँद जैसी सौ कलाएं ।।

आगमन नव वर्ष का हम प्यार के दीपक जलाएं ।।1

गरल भरती दृष्टियों का तोड़ दें झूठा दिलाशा ।

अब निरर्थक मांग लेकर हो नहीं आगे तमाशा ।

तोड़ दें हम धुंध कोहर से बनी दीवार सारी ।

प्यार के संदेश से ही हार मानेगी कटारी ।

व्यर्थ मुद्दों पर नियोजित बंद हो आलोचनाएं ।।

आगमन नव वर्ष का हम प्यार के दीपक जलाएं ।।2

इस हमारी पहल से ही घट सुधा संधान होगी ।

रोग के उपचार से ही स्वास्थ्य की पहचान होगी ।

नील अंबर में समाई है बड़ी आकाश गंगा ।

चांद सूरज रश्मियों से आदमी का रूप चंगा ।

धूम केतू की हमेशा टूटती जुड़ती शिलाएं ।।

आगमन नव वर्ष का हम प्यार के दीपक जलाएं ।।3

है नमन उन दीपकों को सरहदों पर जो खड़े हैं ।

मौत से होती लड़ाई काल के सम्मुख अड़े हैं ।

पर्वतों को मुट्ठियों में भींच लेते जो सिपाही ।

मौत के मांथे लकीरें खींच देते जो सिपाही ।

देश के इन बांकुरों को स्वर्ण लिपियों में सजाएं ।।

आगमन नव वर्ष का हम प्यार के दीपक जलाएं ।।4

- जसवीर सिंह हलधर , देहरादून