राखी में अनमोल प्रेम है - कलिका प्रसाद
पुण्य पर्व है रक्षाबंधन,
भाई बहिन का पुनीत प्रेम है!
मनुज जागरण का पर्व है ,
गंग हृदय का लोलित चंदन ।
सावन के त्यौहारों में,
रक्षाबंधन अति श्रेष्ठ पर्व है!
संस्कृति की चेतना का पर्व,
यह त्यौहार अति स्नेह का।
बहिन भाई पर प्यार लुटाती,
लम्बी उमर की दुआ मांगती!
कलाई पर राखी बांधती ,
माथे पर तिलक अक्षत लगाती।
राखी केवल धागा नहीं है,
बहिन का प्यार छुपा है राखी में!
भाई भी बहिना को विश्वास देता ,
तेरी मैं नित रक्षा करुगाँ।
राखी में अनमोल प्रेम है,
द्रोपदी ने कन्हैया को राखी बांधी थी!
कृष्ण ने तभी उसकी लाज बचाई थी,
राखी संबंधों का रंग संवारती।
वर्षा ऋतु का ललित रुप है,
संस्कारों का मूल रुप है!
मानवता का अद्भुत मिशाल है,
रक्षाबंधन अद्वितीय पर्व है।
- कालिका प्रसाद सेमवाल
मानस सदन अपर बाजार, रुद्रप्रयाग