कहमुकरी- अनिरुद्ध कुमार
Sep 25, 2021, 21:03 IST
| देखो मोती रोज लुटाये,
बैठ निहारें मन इतराये,
नैन जुड़ाये लागे प्रियतम,
ऐ सखि साजन ? ना सखि शबनम।
आये जाये मनवा गाये,
आनंदित जीवन मुस्काये,
प्रीत जगावे असीम अनन्त,
ऐ सखि साजन ? ना सखि बसन्त।
छूये तो तनमन खिल जाये,
जीवन अपने धुन में गाये,
सुखदाई पाकर आलिंगन,
ऐ सखि साजन ? ना सखि यौवन।
- अनिरुद्ध कुमार सिंह, धनबाद, झारखंड