पत्रकार (कुंडलियाँ) = डा० नीलिमा मिश्रा
१ -
बातें जो सच की करे, उनको घूँसा लात।
पत्रकार को पीट के, देना चाहें मात ।।
देना चाहें मात , आज के नेता सारे ।
सत्ता के ही गिर्द, घूमते मारे- मारे ।।
अफसर खाकर घूस, निभाते उनसे नाते ।
चौथा जो स्तम्भ, बताएँ उनकी बातें ।।
२ -
नेता भ्रष्टाचार में, लिप्त हुए दिन- रात।
अमन एकता की नही, अब होती है बात ।।
अब होती है बात , लड़ाई बीमारी की।
महँगाई का जोर, ग़रीबी लाचारी की ।।
पत्रकार सच बात , अगर छपवाकर देता ।
बंद वही अख़बार, करा देता है नेता ।।
३ -
सच्चाई की राह पे, चलता जो इंसान।
काँटे राहों में बिछा, देते हैं शैतान ।।
देते है शैतान , गालियाँ मारे डंडे ।
अफसर तानाशाह, चलाते है हथकंडे।।
हिम्मत से लो काम , जीतती है अच्छाई ।
पत्रकार हे! भ्रात , मही छोड़ो सच्चाई ।।
४ -
नेकी को अपनाइए ,चलिए सच की राह ।
पत्रकार हे! बंधुओं, रखिए मन में चाह।।
रखिए मन मे चाह , बदलना है समाज को।
लोकतंत्र मज़बूत ,, लिवाएँ रामराज को ।
नेताओ ने खूब, आज तक रोटी सेकी ।
खोलो उनकी पोल यही कहलाए नेकी।
= डा० नीलिमा मिश्रा , प्रयागराज