जलधारा हिंदी साहित्यिक संस्था का साझा बालसंग्रह फुहार

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Vivratidrapan.com, फुहार साझा संग्रह में बहत्तर पृष्ठों में नौ रचनाकारों की रचनाएँ समाविष्ट हैं। बालमन की विभिन्न संवेदनाओं को मनोरंजक कहानियों एवं कविताओं में पिरोया गया है। नौ तरह के रंगों से सजी फ़ुहार नन्हें मुन्ने पाठकों के लिए जलधारा हिंदी साहित्यिक संस्था की ओर से अनमोल सौगात है। संस्था की संस्थापिका व राष्ट्रीय अध्यक्षा *शावर भकत भवानी * का अनूठा प्रयास है। फुहार पुस्तक ऑनलाइन अमेज़न में उपलब्ध है एवं पुस्तक की कीमत भी कम रखी गई है। संस्था द्वारा बाल हिंदी साहित्य के विकास की दिशा में सफल एवं सार्थक साहित्यिक कार्य करने का निरंतर प्रयास किया जा रहा है। नन्हे बाल पाठकों के संग बड़ों को भी फुहार पुस्तक अवश्य पसंद आएगी। पुस्तक के कुछ महत्वपूर्ण अंश एवं उनके लेखकों से आपको रू-ब-रू कराते हैं।

शावर भकत भवानी-

नीला ग्रह राहुल की जिज्ञासाएँ माँ शांत करती है, पृथ्वी का तीन चौथाई हिस्सा जल से ढका है। अतः उसे नीला ग्रह कहते हैं। हमें रोज़ आठ ग्लास पानी चाहिए। यह भोजन का मुख्य घटक है। द्रव रूप में पानी, ठोस यानी बर्फ़ व गैस रूप में भाप, ऐसे जल के तीन रूप होते हैं।

रबड़ माँ के पास उदाहरणों की कमी नहीं। कचरे वाली आँटी को गर्म कपड़े देकर पिंकी को समझाती है कि यदि पेन्सिल बनकर किस्मत नहीं लिख सकते तो रबड़ बन औरों के दुख मिटा सकते हैं।

पानी पीने योग्य मात्र 2% है। जल अपनी राह स्वयं बनाकर हर हाल में ज़िन्दगी जीने की शिक्षा देता है। इसकी बर्बादी पर अंकुश लगाना होगा।

झाँसी की रानी - गंगाधर से ब्याह के पश्चात छबीली रानी लक्ष्मीबाई बनी। क्रांति का आव्हान करके फिरंगियों के छक्के छुड़ा दिए। अंत तक लड़ी व स्वयं को अग्नि के हवाले कर शहीद हो गई। और सिखा गई सबको स्वाधीनता का पाठ।

छाया स्टीफन हॉकिंग के अनुसार पेड़ों के कटने से ताप बढ़ रहा है। बिना छाया के पशु पक्षी व जन मानस त्रस्त हैं। हमारी धरा को पुनः हरा भरा करना है।

दोस्त के द्वारा पढ़ोगे-लिखोगे बनोगे नवाब का सन्देश दिया है। पुस्तकें सबसे अच्छी मित्र हैं। हौसला रखने वाले व कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।

गुड टच, बेड टच मासूम बच्चियों को माँ का स्पर्श, भैया की चिमटी का अनुभव है। गन्दी छुअन को भी अब पहचानने लगी हैं।

बेटियाँ तो देवी जैसी पूजी जाती हैं। फ़िर ये दरिन्दगी क्यूँ ? हाँ, अब वे खेल कूद में ये सब भूलना चाहती हैं। अब वे समझ जो गई हैं अच्छे व गन्दे स्पर्श में अंतर।

ज्योति व्यास -

और माँ खुश हो गई बेटी भूमिका द्वारा की गई M अक्षर यानी माँ की महत्ता  सुनकर,  Mother से M हटाने से बस रह जाता है other.

दो पेंसिल एक माँ ही - टूटी पेंसिल से दो पेंसिल बनाकर बेटी सोनिका को खुश कर सकती है।

घड़ियाल की मम्मी सोनू बेटू को भी माँ ही सही नसीहत देने में सक्षम है। जब सोनू माँ के बिना नहीं रह सकता तो घड़ियाल का बच्चा भला कैसे रह सकता है? और शैतान सोनू झटपट घड़ियाल को नदी में छोड़ आता है।

सरला मेहता -

जोजो की समझदारी - जोजो व लोलो खरगोश के बच्चों का अपहरण भालूसिंह लल्ली लोमड़ी की मदद से कर लेता है। किंतु पिता की सीख यादकर जोजो समझदारी से उसे बातों में उलझाए रखता है। तब तक पुलिस आ जाती है।

सीखो बच्चों हर जानवर कुछ कहता है- गिलहरी दुख नहीं देती, चिरैया खुश रहती, कछुआ धैर्य रखता, खरगोश जल्दबाज़ी नहीं करता, चींटी मदद का पाठ, भो- भो चौकसी और गौ माता तो बस देती ही है।

कलाम को सलाम - गरीबी में भी मेहनत के दम पर मिसाइल मेन बने, राष्ट्रपति बने व सपनों की उड़ान भरी।

मैंने सबका कहना माना दादा ने कहा रुकना नहीं, दादी ने कहा डरना नहीं, पापा ने थकने से बचाया, मम्मी ने मदद व दीदी भैया ने ग़लत काम से तौबा करने का पाठ सिखाया।

रेणुका सिंह -

पापा ने आकांक्षा से कहानी लिखवाकर सही ऊर्जा की अभिव्यक्ति की प्रेरणा दी। प्यारे बादल खेतों पर छाते, सबको हर्षाते व  नवजीवन दे जाते हैं।

भैया तो सचमुच प्यारा है ,पापा से बचाता, टॉफी लाता, घुमाता और हर बात का ख्याल रखता है।

मंजिरी पुणतांबेकर -

कीट को उसके दोस्त हौंसला देकर मकड़ी के मुँह से बचाते हैं। सच मन के जीते जीत है।

वाह कितना अच्छा होता, अगर चॉकलेट व बिस्किट का बंगला होता।

लम्बी सूंड व लंबे दाँत वाला शाकाहारी तथा बुद्धिमान पशु है हाथी दादा।

उषा गुप्ता -

इनकी रंग बिरंगी पतंग ऊपर उड़कर जीवन में ऊँचाई पर जाने अर्थात उन्नति करने की प्रेरणा देती है।

बारिश आई  तो बच्चे चले कागज़ की नाँवें चलाने। देखें किसकी कश्ती बाजी मारती है।

प्यारे दादू के साथ बच्चे बगीचे में जाएँगे व खेलेंगे। वहाँ गोलगप्पे भी खाएँगे।

मेरा जन्मदिन आने वाला है। माँ केक बनाए, दीदी गुब्बारे लगाए, भैया केप सजाए और सारे दोस्त आए। काश! ये जन्मदिन रोज़ आता।

जंगल राज में शेर नांद में क्या सो गए कि खरगोश जी राजा बन गए। पर ये तो मीकू जी का सपना था।

एक दो तीन चार सिखाते प्यार, पाँच से आठ यानी पढ़ो पाठ, नौ से बारह यानी खेलो बाहर, सोलह कहता टीचर को नमः, बीस अर्थात रक्षा करे ईश।

समय चलती रेल को नहीं रुकना पर बच्चों तुम काम समय पर करना।

अमिता मराठे -

भोली दीदी सिखाती है बच्चों को अनुशासन जैसे पक्षी कतार में चलते हैं वैसे बच्चों को भी अपनी दिनचर्या में नियमों का ध्यान रखना है।

घर की शोभा प्यारी सी गुड़िया को हरी धरा को देखने रिमझिम वर्षा में घूमने जाना है। और छपाछप नहाना भी है।

प्यारे पंछी भोर होते ही दाना पानी की खोज में उड़ जाते हैं। नभ में सर्कस करके ये एकता का सन्देश देते हैं।

छोटी छोटी बातों पर रोना नहीं। सूरज के साथ उठकर सब कार्य समय पर करना। गृहकार्य कभी नहीं भूलना।

गिलहरी सारा दिन फुदकती, दाने कुतरती व आहट पर चौंक जाती है। यह सिखाती है कि आलस मत करो।

रत्ना बापुली -

बन्दर आया बन्दर आया ये तो भूकम्प ही ले आता है। चिड़ियाँ डरती, कौवे काँव-काँव करते व मुन्ना डरता है। पर लाठी देखकर भाग जाता है। अब तो बेचारे पेड़ों के कटने बौखलाता है।

रचना उनियाल -

भारत विजय रचना , में बच्चा माँ से कहता है,,

उसे वर्दी पहनकर रण में जाना है। उसे भी बन्दूक चाहिए। वह दुश्मनों को हरा कर समर जीतेगा।

पुस्तक का नाम:- फुहार

(जलधारा हिंदी साहित्यिक संस्था की साझा बालसंग्रह)

विधा:- गद्य एवं पद्य

सम्पादिका:- शावर भकत "भवानी" एवं सहायक सम्पादिका:- उषा गुप्ता

समीक्षक :- सरला मेहता, इंदौर, मध्यप्रदेश

प्रकाशक:- सन्मति पब्लिशर्स एन्ड डिस्ट्रीब्यूटर्स

प्रथम संस्करण:- 2021

मूल्य:- रुपये 100/–