जिन्दगी की कविता उतारता हूं - नीलकान्त सिंह
Updated: Aug 25, 2021, 13:01 IST
| तेरी तस्वीर जब कभी देखता ,
साथ बिताया पल याद करता हूं।
जिन्दगी की कविता उतारता हूं।
तुझसे किये सभी बात याद है,
अपनी कमियां मैं स्वीकारता हूं,
जिन्दगी की कविता उतारता हूं।
तुझको जब कभी दूर से देखता ,
खुद को तुमसे गले लगा पाता हूं,
जिन्दगी की कविता उतारता हूं।
एक बार हम दोनों मिल जाते,
सपने खुली आंख से देखता हूं,
जिन्दगी की कविता उतारता हूं।
एक चाहत मेरी पूरी कर दे,
इंतजार तेरा सह न पाता हूं,
जिन्दगी की कविता उतारता हूं।
@नीलकान्त सिंह नील, मझोल , बेगूसराय