हिंदी: ग़ज़ल - जसवीर सिंह हलधर

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घटाएं घुल गयी  पुरवाइयों में वो नहीं आया ।

दुआएं धुल गयी रुसवाइयों में वो नहीं आया ।

चली ठंडी हवाएं और अब तो थम गयी वारिस ,

पपीहा गुम हुआ अमराइयों में वो नहीं आया ।

करोना ने किया है खूब  तांडव देश दुनिया में ,

बहुत हलचल हुई दानाइयों में वो नहीं आया ।

जवानी से बुढ़ापे तक बढ़ा यह कारवां मेरा ,

लबादा छुप गया तनहाइयों में वो नहीं आया ।

तमन्ना थी नदी की सिन्धु से रिश्ता बनाने की ,

गिरी बंगाल जाकर खाइयों में वो नहीं आया ।

समापन हो गया सारे रिवाजों का सगाई में ,

उदासी छा गयी शहनाइयों में ,वो नहीं आया ।

सियासी दाव चलती कुछ जमातें आज भारत में ,

गिरे नेता यहां गहराइयों में वो नहीं आया ।

हमारी भी तमन्ना थी कि "हलधर" लौट आएगा ,

उबासी दिख रही अंगड़ाइयों में वो नहीं आया ।

- जसवीर सिंह हलधर देहरादून