हिंदी: ग़ज़ल - जसवीर सिंह हलधर
Nov 18, 2021, 23:16 IST
| घटाएं घुल गयी पुरवाइयों में वो नहीं आया ।
दुआएं धुल गयी रुसवाइयों में वो नहीं आया ।
चली ठंडी हवाएं और अब तो थम गयी वारिस ,
पपीहा गुम हुआ अमराइयों में वो नहीं आया ।
करोना ने किया है खूब तांडव देश दुनिया में ,
बहुत हलचल हुई दानाइयों में वो नहीं आया ।
जवानी से बुढ़ापे तक बढ़ा यह कारवां मेरा ,
लबादा छुप गया तनहाइयों में वो नहीं आया ।
तमन्ना थी नदी की सिन्धु से रिश्ता बनाने की ,
गिरी बंगाल जाकर खाइयों में वो नहीं आया ।
समापन हो गया सारे रिवाजों का सगाई में ,
उदासी छा गयी शहनाइयों में ,वो नहीं आया ।
सियासी दाव चलती कुछ जमातें आज भारत में ,
गिरे नेता यहां गहराइयों में वो नहीं आया ।
हमारी भी तमन्ना थी कि "हलधर" लौट आएगा ,
उबासी दिख रही अंगड़ाइयों में वो नहीं आया ।
- जसवीर सिंह हलधर देहरादून