गुरु महिमा = सुनीता द्विवेदी

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जैसा शिक्षक मिले,

वैसा छात्र बन जाए।

अच्छा शिक्षक विषय,

को प्रिय विषय बनाएं।

गुरु मिले जो नारद सा,

ध्रुव परम पद पाए ।

गुरु मिले जो बृहस्पति,

इंद्र राज स्वर्ग का पाए।

गुरु हो जो शुक्राचार्य,

संजीवनी विद्या मिल जाए।

गुरु मिले जो परशुराम,

भीष्म कोई बन जाए।

गुरु मिले जो एक तनु,

प्रताप भानु मिट जाए।

गुरु मिले जो मतंग सा,

शबरी राम को पाए।

गुरु मिले और द्रोण से,

अर्जुन कीर्ति पाए।

गुरु जीवन में अमृत धोले,

क्या से क्या बनाएं।

गुरु की महिमा,

सुनीता कौन गा पाए।

 ©️: सुनीता द्विवेदी, कानपुर, उत्तरप्रदेश