गुरु शिष्य - डाँ.राजीव डोगरा

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गुरु शिष्य का रिश्ता है

प्रेम भाव से निभता है,

गुरु ज्ञान रत्नों का भंडार है

देकर शिष्य को,

दिलवाता समाज में

प्रतिष्ठा मान-सम्मान है।

शिष्य गुरु चरणों में

जब झुकता है ,

तभी तो उसको

ज्ञान अमृत फल मिलता है।

आओ,

गुरुओं का मान करें

मिलकर दिल से

उनका सम्मान करें।

- राजीव डोगरा 'विमल'

 ठाकुरद्वारा, गांव जनयानकड़

कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश