सुनहरी यादें - विनोदशर्मा 'विश'

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मैं नहीं जानता क्या  खता  हो गई थी हमसे,

यादें  भी  उनकी  हमसे  अब  तो  जलती हैं।

दुःख है जब से जिंदगी में उनकी यादें बसी हैं,

तब से हमें उनकी यादों से मोहब्बत भी हुई है.!!

अब तो आँखों से आंसू भी आग उगलने लगे,

जब से उनकी यादें हर पल  मुझसे  कहती है।

#रेखा थी मेरे हाथों की जो मिट चुकी है अब,

#विनोद की यादों में खामोश सी ख़ामोशी है.!!

यादें भी आँखों से बातें अक्सर करने लगती हैं,

यादों में रहकर आँसुओं की बरसात  होती है।

यादों में उनके ही ख़्यालों में हम खोए रहते हैं,

याद ही नहीं रहता अब कब दिन,रात होती है.!!

यादों में ग़मों ने दुनिया ही अलग बसाई हुई है,

साथी सिर्फ दो एक यादें और दूसरी तन्हाई है।

अच्छी नहीं यादें याद रखनी दुनिया कहती हैं,

भूल जाओ तो दुनिया वजह भी पूछ लेती हैं.!!

यादें है के कभी याद रखना भूलती भी  नहीं,

गौर से सुनना साथियों यादें किस्से सुनाती है।

यादें कहे यादों से "सुनहरी यादें" साथ रहती हैं,

गहरे जख्मों की पीड़ा दर्द व ख़ामोशी देती है.!!

यादों में मेरी शान्ति भी है शोर भी  है दोस्तों,

यादों को ध्यान से सुनो यादें याद दिलाती हैं,

यादों को याद कर नाराज ना होना तुम कभी,

यादें गहरा समुन्द्र है जिसमें ख़ामोशी रहती है.!!

अपनी यादों को ही ख़ामोशी से याद करता हूँ,

जवाब देने का काम यादों को ही  दे रखा है।

सिर्फ उनकी यादें ही तो साथ देती हैं हमारा,

मेरा हर दर्द हर आह यादें ही तो समझती है.!!

आँखों में आंसू अगर गम के आये सजा ही है,

हंसते हुए  आ जाएं  तो मजा  ही कुछ और है।

बातें और इशारे से तो हर कोई समझ लेता है,

यादों को याद रखकर समझे मजा कुछऔर है.!!

----विनोदशर्मा 'विश', दिल्ली