ग़ज़ल - झरना माथुर
Jul 17, 2021, 22:51 IST
| शब भी अपने पूरे यौवन पर आयी है |
और चाँदनी देख चाँद को मुसकाई है |
उनकी चाहत की तड़प सागर सी गहरी,
उसकी गहराई में मेरी तन्हाई है |
इसी चाँदनी ने की है मेरी रुसबाई,
आँखों में तारों के मोती भर लाई है |
नशा ख़्वहिशों का है रातों के पहरों में,
मेरे दिल में भी कुछ मस्ती सी छाई है |
झरना को तो आदत है धुन में बहने की,
भले इसी धुन में उसने ठोकर खायी है।
= झरना माथुर, देहरादून