ग़ज़ल = सरला मिश्रा
May 20, 2021, 23:35 IST
| कभी तो प्यार लिख भेजा,
कभी मनुहार लिख भेजा।
कभी तो चुप्पियां बोलीं,
कभी इजहार लिख भेजा।
सुनहरे पल बिताए जो,
कभी तकरार लिख भेजा।
तुम्हारी जीत है पक्की,
लो हमने हार लिख भेजा।
न पढ़ पाए मेरे दिल को,
तुम्हे सौ बार लिख भेजा।
गवाही वक्त ही देगा,
दिलों के तार लिख भेजा।
नवाबों सी है तन्हाई,
कोई खुद्दार लिख भेजा।
सिकन्दर कौन है पूछा,
तो अपना यार लिख भेजा।
= सरला मिश्रा, दिल्ली