गजल - रीतू गुलाटी
Sep 7, 2021, 23:21 IST
| अच्छे दिनो की आस बहुत है।
फैली जंगल मे बात बहुत है।।
बनते है महान लीडर मेरे देश के।
करते वो देश में घोटाला बहुत हैं।।
कब लेगे लूट अब देश को लुटेरे।
दिख रहा आज तो खतरा बहुत है।।
वो देते है मुकम्मल बयान अब तो।
आदमी क्यो लगता बेजुबा बहुत है।।
मार कर जमीर ऋतु करता है जुल्म।
खुद को शरीफ अब तो बताता बहुत है।।
- रीतू गुलाटी (ऋतंभरा), हिसार (हरियाणा)