ग़ज़ल ----डॉ० अशोक 'गुलशन'

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भाई-भाई कितने दिन,

रोज लड़ाई कितने दिन।

माई-दाई कितने दिन,

और लुगाई कितने दिन।

दिल से दिल मिल जाने दो,

यह गहराई कितने दिन।

इनसे लेकर उनको दो,

यह चतुराई कितने दिन।

सारे अन्तर खत्म करें,

खाई-खाई कितने दिन।

बातों में कुछ दम भी हो,

हवा-हवाई कितने दिन।

‘गुलशन’ इक दिन जाना है,

दुआ-दवाई कितने दिन।

----डॉ० अशोक ''गुलशन'', बहराइच उत्तर प्रदेश