ग़ज़ल - अनिरुद्ध कुमार
Oct 30, 2021, 22:59 IST
| प्रेम का दीपक जलाना सीख लो,
गम मिटे खुशियाँ लुटाना सीख लो।
जिंदगी यह चार दिन की जान ले,
हर घड़ी बस मुस्कुराना सीख लो।
कौन किसका है यहाँ सोंचो जरा,
राह अपना खुद बनाना सीख लो।
आदमी हो आदमी बनके रहो,
प्यार को दिल में बसाना सीख लो।
आज 'अनि' सबसे कहे सुन लो जरा,
दीप बन के जगमगाना सीख लो।
- अनिरुद्ध कुमार सिंह, धनबाद, झारखंड