ग़ज़ल = अनिरुद्ध कुमार
May 26, 2021, 22:58 IST
| इरादा करे रहनुमाई जहाँ की,
बता कौन सुनता रुलाई जहाँ की।
बीमारी रुलाये हँसें लोग कैसे,
लगे रूठ बैठी खुदाई जहाँ की।
किसे जा सुनाये गमों की कहानी,
सुनो आदमी है कसाई जहाँ की।
जिगर चोट खाये किसे जा बताये,
सदा चाहते सब कमाई जहाँ की।
जमाना बुरा है गुजारा करें क्या,
बड़ी बेवफा है दुहाई जहाँ की।
निगाहें बुरी कौन देता सहारा,
हुनरमंद जाने दवाई जहाँ की।
हँसें या कराहे कहाँ 'अनि' अपना,
सबों को पता दिल लगाई जहाँ की।
= अनिरुद्ध कुमार सिंह, धनबाद, झारखंड