ग़ज़ल - अनिरुद्ध कुमार सिंह

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सदा दिल जोड़ने वाली जुबां पर गान हिंदी है,

मिली देखो विरासत में सबों की जान हिंदी है।

ज़माना कह रहा जग से निगाहें चार कर देखो,

सभी मिलके यहाँ रहते मधुर मुस्कान हिंदी है।

बहारों का जहाँ डेरा हवायें झूम इतरायें,

निडर होकर करें गुनगान हिंदुस्तान हिंदी है

कली हर फूल बलखाये जवानी रंग दिखलाये

मिले जब राह पर कोई  हरेक बखान हिंदी है।

अदब इसमें अदा इसमें रहम इसमें वफादारी,

जिगर में झाँक के देखो छुपी हर तान हिंदी है।

समेटे है अदाकारी निभाये प्यार से यारी,

मुहब्बत प्यार जिंदा है यहाँ इंसान हिंदी है।

गुजारा हो रहा सबका नहीं कोई परेशानी,

गले मिलकर रहें हरदम सबों की शान हिंदी है।

इशारे से समझ लेना  हमेशा बोलता परचम,

हथेली जाँ लिए फिरते लगे बलिदान हिंदी है।

हमेशा मोहती'अनि' को बहाती ज्ञान की गंगा,

खुशी गीता, महाभारत मृदुल पहचान हिंदी है।

अनिरुद्ध कुमार सिंह, धनबाद, झारखंड