गीतिका - सुनीता द्विवेदी

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मगन हो के  रटे जा रे  प्यारे नाम राधव का,

लगन हो तो लगा देगा किनारे  नाम राधव का।

थकित होना यदि कोई चले ना साथ में तेरे,

मिला देगा बहुत संगी सहारे नाम राधव का।

जगत के लोग नकली है मुखौटों से ढ़के मुखडे,

छुरी कांटे बगल में हैं जुबां ले नाम राधव का।

अभी जिंदा सुनीता है रटे क्यूँ ना अपनी जीभ

धरी कंधों चली प्यारे पुकारे नाम राधव का।

- सुनीता द्विवेदी, कानपुर, उत्तर प्रदेश