गीतिका - (विधाता छंद) — मधु शुक्ला
Nov 20, 2021, 23:30 IST
| न टालो काम आगे तुम, समय ने यह सिखाया है,
नहीं फिर वक्त लौटे जो, रुका वह बढ़ न पाया है।
धनिक निर्धन सभी झुकते, समय के सामने हँसकर,
अकड़ में जो रहा अपनी, उसी का सिर झुकाया है।
बना कर योजना चलते, समय पर काम जो करते,
उन्हीं ने नाम यश संसार, में अतिशय कमाया है।
कभी मौसम नहीं टिकते, न रुकना तुम यही कहते,
किया आलस यहाँ जिसने, गले दु:ख को लगाया है।
समय की शक्ति से बढ़कर, जगत में कुछ नहीं होता,
विधाता यह हमारा 'मधु', इसी ने भाग्य लाया है।
— मधु शुक्ला . आकाश गंगा नगर . सतना (मध्यप्रदेश)