गीत  = रश्मि शाक्य

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गीत = रश्मि शाक्य

मन में उम्मीदों के जुगनू की 
एक क़तरा रोशनी तो है ।
जेठ की तपती दुपहरी पर 
पेड़ की छाया घनी तो है ।।

एक टुकड़ा सूर्य का लेकर 
ये अंधेरा जीत लेंगे हम ,
शबनमी सी भोर से अपने, 
मन का आंगन सींच लेंगे हम ,

है थका-हारा अगर यह दिन, 
इक रुपहली चांदनी तो है ।।

डगमगाता-डगमगाता स्वर, 
कांपते हैं तार वीणा के ,
छटपटाती आह अधरों पर, 
नयन में उद्गार पीड़ा के,

वेदना का ज्वार गीतों में 
पर खनकती रागिनी तो है ।।

चंद क्षण तक बैठ लें हम भी 
नदी के निर्जन किनारे पर ,
देखें, कैसे मोहता है मन 
धार में हिलते सितारे पर ,

दर्द है कितना ज़माने में, 
मुस्कुराहट बांटनी तो है।।
©रश्मि शाक्य गाजीपुर उत्तर प्रदेश