फेसबुक, वॉट्सएप्प ने बांधा या अकेला किया - झरना माथुर

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Vivratidarpan.com-  आज फेसबुक और वॉट्सएप्प ने सबको एक साथ बाँध दिया है। इसमें कोई शक नही। आज हम लोग एक डोर से बंध गये है। कोई सुख हो या दु:ख हो सबको पता चल जाता है।

वॉट्सएप्प  पर  ग्रुप बन गये है, जिससे एक सूचना को कम समय मे बहुत लोंगो के पास एक साथ पहुँचाया जा सकता है। किसी का जन्मदिन हो या उसके जीवन की कोई घटना हम सब उसको मैसेज के द्वारा बधाई दे देते है या कोई दु:खद घटना हो तो दु:ख भी मैसेज के द्वारा भेज देते है। अगर ये कहा जाये पहले तो घरो मे जाने का चलन था। उसके बाद फ़ोन आ गये। जिसके द्वारा बातें होने लगी और अब फेसबुक और वॉट्सएप्प  की बहार आ गयी और  मेसेज का दौर चलने लगा।

अगर ये कहे कि जो कॉल से बात कर लेते थे। वो भी खत्म हो गयी। हम भी फ़ोन करने से पहले ये सोचने लगे कि फ़ोन करे या नही करे, पता नही बात हो पायेगी या नही, चलो मैसेज ही डाल देते है, जब फ़्री होंगे तब देख लेंगें और जवाब भी दे देंगे। कहने का तात्पर्य ये है कि."महफिल मे होकर भी अब अकेले रह्ते है हम, अब पाँव से कम उंगलियों से ज्यादा चलते है हम, पहले दोस्तों से मुलाकाते हो भी जाया करती थी, अब फेसबुक वॉट्सएप्प से ही मुलाकात कर लेते है हम।" लेकिन मुझे ये बुरा लगा जिस दिन मेरा जन्मदिन था और घर के खास लोगों का जो फोन आता था और जिसका मुझें दिनभर इंतज़ार रहता था, वो नही आया। उन्होनें भी मैसेज के द्वारा ही शुभकामनाएँ दे दी। एक बात करने का जो मौका या घड़ी आयी थी वो भी खत्म हो गयी।

अगर बात होती तो एक नही होती कई बाते होती। कई अगले पिछ्ले किस्सों की भी चर्चा होती। एक- दूसरे से बात करके अपनेपन का आभास भी होता। शायद हँसते भी किसी बात पर, वो सब खत्म हो गया। मुझें ये लगा कि फेसबुक और वॉट्सएप्प ने मुझें अपनो से दूर कर दिया। मुझे अकेला कर दिया।

झरना माथुर, देहरादून , उत्तराखंड