ईद का चाँद = डा० नीलिमा मिश्रा
May 14, 2021, 23:22 IST
| ईद का चाँद मु्स्कुराया है ।
सारी दुनिया को जगमगाया है ।।
रोज़े रखते रहे दुआ माँगी ।
तब मसर्रत का दिन ये आया।।
दौरे-हाज़िर में इन चराग़ों ने।
ज़ुल्मते-शब को फिर हराया है।।
ईद का दिन है आ गले मिल लें ।
वक़्त ने तो बहुत सताया है ।।
इश्क़ में अब नही गिला कोई
सारे शिकवों को भी भुलाया है ।।
हम सभी का है इक खुदा फिर भी ।
दरमियाँ फांसला क्यूँ आया है ।।
ढूँढ लो नीलिमा नई दुनिया ।
इस जहाँ मे तो सब पराया है।।
= डा० नीलिमा मिश्रा , प्रयागराज