दीवाली - स्वर्णलता

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छोटी दीवाली है आयी।

सब जन नें है खुशी मनाई।।

छोटे छोटे दीपक लाओ।

अंधियारे को दूर भगाओ।।

रूप चौदस ही नव जीवन हो।

सुंदर मन अरु सुंदर तन हो।।

मुझको आप अमिय रस देना।

मन का तिमिर सभी हर लेना।।

तन की सुंदरता ढल जाए।

आज जो रूप वो कल न आये।।

मुझको अक्षय रूप ही देना।

मन का तिमिर सभी हर लेना।।

जगमग जगमग सारा जग हो।

साथ हमारे केवल प्रभु हो।।

ऐसा रूप प्रभु तुम देना।

मन का तिमिर सभी हर लेना।।

चौदस देय रुपहला जीवन।

मिले स्वर्ग का सुख आजीवन।।

ये आशीष प्रभू तुम देना।

मन का तिमिर सभी हर लेना।।

स्वर्णलता सोन, दिल्ली