धर्म - जया भराड़े बड़ोदकर ​​​​​​​

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नहीं है कहता पूजा पाठ करो,

नही कोई स्थान को माथा टेको,

ना ही ये ग्रंथ पढ़ो,  ना वो ध्यान करो,

नही मंदिर ना ही मस्जिद,

 ना ही चर्च, ना गुरुद्वारा,

सभी एक ही धर्म को माने,

इंसानियत और वो भाई चारा,

कहा है ईश्वर, कहा है अल्लाह,

सब मे बस एक ही प्रेम धारा।

नही है मंदिर में, नही किसी भी जगह पर,

सभी बेकार है,

इस वक्त ने  ,

सत्य साबित कर डाला।

वो तो मिले मुझे भले मानुष मे,

जो एक इंसानियत मे खुद को  ढाला,

देता त्याग जो दया दृष्टि से,

दूसरे का जीवन रच डाला,

ना धन का अहंकार हो जिसे,

ना पद प्रतिष्ठा  का अभिमान,

नम्रता से पर सेवा में ढाला,

सच्चा धर्म यही है बस एक,

परहित सेवा , प्रेम, दया दृष्टि।

इस युग ने ये लिख डाला,

धन्य-धन्य हैं उसका जीवन,

जिसने सर्व जाति धर्मो को,

एक ही इंसान मे बसा डाला।

- जया भराडे  बडोदकर, नवी मुंबई (महाराष्ट्र)