धरा की बेटियां - रूबी गुप्ता
Aug 24, 2021, 22:50 IST
| बेटियाँ , धरा की बेटियाँ,
हाँ ये बेटियाँ, धरा की बेटियां।
सुनीता कभी ,कभी इन्दिरा,
और सरोजनी स्वर कोकिला ,
बलिदानी बन पन्ना सी वो ,
देती रहीं है कुर्बानियां।
बेटियां, धरा की बेटियां।
हाँ बेटियाँ, धरा की बेटियां।
अहिल्या सीता पद्मावती,
सावित्री सी बनती हैं सती,
पृथ्वी के कण-कण में बसी,
जीवन की बन संचारिका
बेटियाँ, धरा की बेटियां।
हाँ बेटियाँ ,धरा की बेटियाँ।
बनती कल्पना नभ भेद कर ,
बछेन्द्री बनती छूती शिखर ,
नित कीर्तिमान गढ़ती निखर।
हर क्षेत्र में लहराती ध्वजा ।
बेटियाँ , धरा की बेटियाँ।
हाँ बेटियाँ धरा की बेटियाँ।
बनती मीरा कभी राधिका ,
कभी काली सम संहारिका |
तन मन समरपिता हैं ये ,
पाले रूह में संस्कृतियाँ
बेटियाँ, धरा की बेटियां।
हाँ बेटियाँ, धरा की बेटियाँ।
- रूबी गुप्ता, कुशीनगर, उत्तर प्रदेश, भारत