दीपक  - शिप्रा सैनी

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मेरा जलना , तेरा मुस्कुराना

भाता मुझे है, तिमिर को मिटाना।

आँखों की पुतली में,

लौ टिमटिमाना।

कितना है अच्छा,

उम्मीदें जगाना।

जीवन यही है, मुझको जो जीना।

भाता मुझे है, तिमिर को मिटाना।

मेरा जलना, तेरा मुस्कुराना।

  

मेरी रोशनी में,

दमकता एक चेहरा ।

लगता है मुझको,

मेरे सिर है सेहरा।

जाने वही ,जिसने जाना निभाना।

भाता मुझे है, तिमिर को मिटाना।

मेरा जलना, तेरा मुस्कुराना।

     

जलकर मुझे यूँ,

खुशी है तब मिलती,

तम में किसी को,

जब राह है मिलती ।

देना खुशी है,सौ खुशियों को पाना।

भाता मुझे है ,तिमिर को मिटाना।

मेरा जलना, तेरा मुस्कुराना।

 - शिप्रा सैनी (मौर्य ),जमशेदपुर