प्रिय हिन्दी ( मुक्तक विधा) - सुनीता द्विवेदी

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हिन्दी दिवस पर मेरी प्रिय भाषा तुम्हें नमन,

अतिशय प्रचुर तुम्हारा गरिमामय शब्द धन।

राष्ट्र भाषा , संपर्क भाषा ,जन भाषा तुम्ही,

निज सामर्थ्य से प्रेषित करो जग में कवि मन।

प्राकृत शौरसैनी संस्कृत की श्रेष्ठ सुता,

उन्नति मूल कहते  भारतेन्दु की वंदिता।

वैज्ञानिकता हो चुकी प्रमाणित तुम्हारी,

निज डोर बांधी भारत की तुमने एकता।

एक सौ अठ्ठारह देश में तुम्हारा प्रभाव,

सशक्त संप्रेषणता सहज तुम्हारा स्वभाव।

सरल सुगम मीठी शिष्ट व्यवहारिक भाषे,

किसी भाव के शब्दों का तुझे नहीं अभाव।

यही प्रार्थना हर भारतीय का गौरव हो,

भाषा के नाम पर न हम पांडव कौरव हो।

निज भाषा प्रयोग सर्वाभीष्ट स्वभिमान बने,

याद रहे हिंदी हिन्दुस्तान का खौर अब हो।

- सुनीता द्विवेदी, कानपुर, उत्तरप्रदेश