गंगा में लाशें मिली.. जिम्मेदार कौन ? =  नीरज सरस जैन

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Vivratidarpan.com, अंतिम संस्कार की जिम्मेदारी किसकी, एक मित्र की बात का पूर्ण समर्थन करता हूँ कि, आपने अपनी संतान नालायक पैदा करी है तो सरकार का इसमें क्या दोष । ये तो आम जनता को सोचना होगा कि उन्हें अपनी संतान को वसीयत में दौलत के साथ संस्कार भी देने हैं या नहीं ।

अंतिम संस्कार की जिम्मेदारी आपके अपने पुत्र की ही है क्योंकि वही आपकी जायदाद का वारिस भी होगा।

मैं अपनी बात शुरू करता हूँ, गंगा मैं जल समाधि के विषय से ।

जह्यु त्रषि की पुत्री गंगा एक बार राजा प्रतीप पर मोहित हो गयी थी और उसने राजा प्रतीप की बाँयी जंघा पर बैठ कर उनसे प्रणय निवेदन किया। राजा प्रतीप ने उन्हे कहा कि," मैं तुम्हे बामांगी मानते हुये अपनी पुत्र वधु के रूप में स्वीकार करता हूँ ।"

उनके उसी पुत्र ने बाद में शापित महाभिष बन कर शान्तनु के रूप में जन्म लिया और गंगा को अपनी शर्तों सहित अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया।

उनकी शर्त यह थी कि, तुम मुझे किसी भी कार्य के लिये रोक - टोक नहीं करोगे ।

इस प्रकार उनसे हुए अपने सात पुत्रों को गंगा ने नदी में बहा दिया । उनके अंतिम पुत्र थे, द्यौ । ये वसु थे, वसु कौन थे ? इसके बारे में, मैं अन्त में स्पष्ट करूँगा ।

यह द्यौ ही गंगा के शापित पुत्र भीष्म थे । जिन्होंने अन्त समय तक पीड़ा झेली ये गंगा के आठवें पुत्र थे ।

निवर्तमान राज तन्त्र ने राजा शान्तनु से इस्तीफे की माँग नहीं करी ।

यह सब बातें हमारे प्राचीन धर्मशास्त्र कहते हैं यहाँ कुछ लोगों का संदेह स्वीकार्य हैं कि नदी स्त्री कैसे हो सकती है शायद यह कोई प्रतीक रहा होगा ।

अब हम आते हैं वर्तमान में,

वैदिक साहित्य के जानकार विवेकानन्द तिवारी ने गरुड़ पुराण का उल्लेख करते हुये कहा है कि," साधु सन्तों की समाधि होती है और सामान्य लोगों का दाह संस्कार होता हैं ।"

ऐसी मान्यता है कि साधुओं का शरीर एक विशेष ऊर्जा एवं आभा मण्डल लिये हुये होता है। अतः उनकी शारीरिक ऊर्जा को प्राकृतिक रूप से विसरित होने दिया जाना चाहिए ऐसी पौराणिक मान्यता है। लेकिन दाह संस्कार के पीछे यह मान्यता है कि मृत शरीर में कोईव्याधि या संक्रमण हो तो वो पंच तत्वों द्वारा नष्ट हो जाये ।

हिन्दू समाज के कुछ सम्प्रदाय,

गोसाई, नाथ, बैरागी साधु, कम उम्र के अविवाहित आदि को दफनाया जाता है

अरे! "अब तुम लाश हो", "मर गये हो", "दस घण्टे बाद माँ बाप भी घर में नहीं रखेंगे", "यथार्थ को स्वीकारो ।" ये वाक्य हमें आम जीवन में जब तब सुनने को मिल ही जाते हैं ।

मैं अपने स्वयं के परिवार के एक वाकिये का जिक्र करूँगा ।

उस परिवार का नाम नहीं लिखूँगा ...

"मामा आप आ जाओ जल्दी से वो बहुत बीमार है।'

"तू एक बार उसको देख ले, मैं एक दो दिन में आता हूँ।"

"ठीक है मामा ।"

दो दिन बाद...

अरे!" क्या हुआ, क्या हुआ मैं आ गया ।"

डाक्टर : - मल्टीपल आर्गन फेल्योर है। लेकिन क्यों ?

डाक्टर : - कोई वायरस है (घटना आठ  साल पुरानी है )

लेकिन इसे ही क्यों ?

कुछ कह नहीं सकते...

कुछ घंटो बाद, मेरा बेटा , मेरा भाई , मेरा भतीजा, मेरा भांजा । सब खन्म..

अब यह सवाल आया कि ?

बाडी कब मिलेगी ?

समझे कुछ...

देह त्यागने के बाद आपसे जुड़े सब रिश्ते खत्म हो गये हैं। अब आप सबके लिए केवल एक बाडी है ।

ज्यादा भावुक नहीं करूँगा । आपको मेरा पेज है,Neeraj Against to yatharth

एड नहीं कर रहा हूँ ना ही लाइक सब्सक्राइब करें ।

बस पढें और मनन करें ।

अब मुद्धा यह है कि गंगा में लाशें मिली.. 
मोदी सरकार इस्तीफा दो...
गाय कट गयी : इस्तीफा दो...
लड़की का रेप हो गया, इस्तीफा दो... 
हर कार्य के लिए केवल मोदी जी जिम्मेदार हैं ?
अरे! "पगला गये हो क्या ?"
यहाँ केवल मोदी नहीं, सभी सत्तारूढ पार्टीयों का मैं समर्थन करता हूँ ।
मुद्दे पर आऊँगा... 
सदियों से जल को शान्ति , बुद्धी , मुक्ति और ज्ञान का प्रतीक माना गया है।
समाधि बहुत ही पवित्र और आध्यात्मिक शब्द है , इसका सम्बन्ध किसी मरने वाले से नहीं अपितु,
मोक्ष, केवल्या (ज्ञान), स्थित प्रज्ञ और निर्वाण प्राप्त व्यक्ति से हैं ।
निर्वाण, बहुत विस्तृत परिभाषा हैं बताऊँगा तो विषय से भटकाव हो जायेगा ।
आगे बढते हैं 
इंसान का शरीर पाँच तत्वों से बना है ऐसी मान्यता है,
अग्नि , वायु , जल, आकाश और पृथ्वी।
यहां अग्नि का अर्थ ज्वाला नहीं बल्कि ऊर्जा का निस्तारण हैं ।
ऐसी धर्म शास्त्रों की मान्यता है कि सभी तत्व अपने मूल रूप में विलीन हो जायें ।
गंगा में लाश का मिलना, ये कौन सा अजूबा है ?
जिस इंसान की लाश है सीधे - सीधे उसकी औलाद जिम्मेदार है ।
आप हिन्दू हो ना ?
लो, विधिवत अंतिम संस्कार…
= नीरज सरस जैन, उदयपुर, राजस्थान