चांदनी = दीपक राही 

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एक चांद की चांदनी हूं मैं,

किसी का इंतजार तो,

किसी का करार हूं मैं,

तुम्हारी रातों का,

आधार हूं मैं,

चांदनी रातों हूं मैं,

चांदनी रातों हूं मैं।

किसी के ख्वाबों का,

यार हूं मैं,

तुम्हारे सवालों का,

जवाब हूं मैं,

किसी के इम्तिहान का,

परिणाम हूं मैं,

चांदनी रातों हूं मैं,

चांदनी रातों हूं मैं।

कहीं खामोश हूं मैं,

तो कहीं रौनक हूं मैं,

हर रूप में आबाद हूं मैं,

चांदनी रातों हूं मैं,

चांदनी रातों हूं मैं।

कहीं शौहरत तो,

कहीं शबाब हूं मैं,

किसी का ख्वाब तो,

किसी का चांद हूं मैं,

शायरों के अल्फाजों का,

राज हूं मैं,

चांदनी रातों हूं मैं,

चांदनी रातों हूं मैं।

जुगनूओ की रोशनी का वजूद हूं मैं,

किसी चांद का चांदनी से गुफ्तगू हूं मैं,

उस रात का सबूत हूं मैं,

चांदनी रातों हूं मैं,

चांदनी रातों हूं मैं।

चांद की है रोशन मुझसे,

सितारें की है शौहरत मुझसे,

=  Deepak Raahi ,R S Pura, Jammu: