भाई जरूर आना - अनिरूद्ध कुमार
Aug 23, 2021, 13:16 IST
| आशा लगा निहारें,
आना न भूल जाना।
राखी तुम्हें पुकारे,
भाई जरूर आना।
है प्यार अमर अपना,
बचपन हुआ सयाना,
भूली नहीं अभी भी,
गुजरा हुआ जमाना।
वो रूठना हमारा,
तेरा मुझे मनाना
रूठी बहन तुम्हारी,
आना न भूल जाना।
बातें सभी पुरानी,
मेरे लिये खजाना।
जब जब पड़े जरूरत,
दीदी हमें बुलाना।
तुम को सदा मनाते,
जब जब कहीं पठाना।
तेरा नया बहाना,
वो रूठ रूठ जाना।
रहना सदा सलामत,
देती तुम्हें दुआयें,
भगवान हर बला से,
तुम को सदा बचायें।
बंधन लिये निहारू,
मुझको न भूल जाना।
अरमान इस बहन का,
निज हाथ से सजाना।
रेशम कि डोर जोहे,
भाई कहाँ मस्ताना।
थाली सजा निहारू,
भाई जरूर आना।
अनिरूद्ध कुमार सिंह,सिन्दरी, धनबाद,झारखंड।