भजन = ज्योत्सना रतूड़ी
Oct 4, 2021, 23:28 IST
| हे मात सुनो मेरी विनती,
है पीर पड़ी माँ तू हरती।
अब दूर करो मां ये विपदा,
सब को अब दो मात संपदा।
माँ लाज रखो अब तुम मेरी,
आ गयी हूं माँ शरण तेरी।
भव सागर से तुम पार करो,
हर लो दु:ख मेंरे धीर धरो ।
मां मुझे आस तेरी भारी,
मैं भी तुझसी हूं एक नारी ।
अब खोल दो विशाल ये नैन,
कट गयी दु:खों भरी वो रैन।
= ज्योत्स्ना रतूड़ी ज्योति
उत्तरकाशी, उत्तराखंड