बावरी ,बावरी = शालिनी सिंह 

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ओनकी नेहिया मां हम बावरी होई गयेन।

सखी मोरे सजन ,सखी मोरे सजन।

बावरी बावरी बावरी बावरी।।

हाय पहली नजर का पहिल प्यार था।

उनसे चाहत का अपना हां इकरार था।।

फूल कलियां खिली कुछ हृदय मां मोरे।

प्यार ही प्यार था प्यार मा बावरी।।

बावरी ,बावरी, बावरी, बावरी।।

बाग मा देखा प्रियतम खड़े थे मोरे।

चांद सूरज की मूरत लगे प्रिय मोरे।।

उनकै बतियां रसीली लगै आम सी।

हिय मा घुलने लगी जौ मोरे खांड सी।।

बावरी ,बावरी, बावरी, बावरी।।

अरे चांदनी मां वह रात नहाई हुई

उस दिन दिल से यहि दिल की सगाई हुई।।

करै नर्तन अधर और हिया यह मोरा।

बांध नेहिया कै बंधन पिया कै हुई।।

बावरी ,बावरी, बावरी, बावरी।।

आज पावन हृदय खोजता नेह है।

देख वोहिका चकित आज हिय मौन है।।

जैहिका समझा वफ़ा का हमने देवता।

बेवफा वोहिसा जग मां नहीं और है।।

बावरी ,बावरी, बावरी, बावरी।।

वोहिका दिल से हम कैसे निकालें भला।

जो निकाले उसे तो मर जाये हम का।।

वह जिये जग मा उसको खुशी सब मिले।

आरजू कर रही अब सखी मैं यहां।।

बावरी ,बावरी, बावरी, बावरी।।

= शालिनी सिंह, गोंडा (उत्तर प्रदेश)