बेटी से जगका उद्धार - अनिरुद्ध कुमार
Sep 29, 2021, 22:59 IST
| सारी दुनिया आज अचंभित,
बेटी से जग का उद्धार।
जिसको सारे कहते अबला,
आज बनी बलशाली यार।
पढ़ लिख के ज्ञानी कहलाती,
देख रहा सारा संसार।
धरती से आकाश तक ख्याति,
बेटी का होता जयकार।
गर्वित मातु पिता बहु तेरे,
बेटी से यह जग उजियार।
चाँद बनी अब चमके बेटी,
लुटा रहा जग प्यार दुलार।
बेटी का गुनगुना करे जग,
बेटी देती खुशी अपार।
मंगल कारी शक्ति स्वरूपा,
दुर्गा, लक्ष्मी की अवतार।
बेटी से बढ़ और न दूजा,
बेटी लगती सुख का द्वार।
भाग्यवान जिनके घर बेटी,
खुशियों का लगता अंबार।
- अनिरुद्ध कुमार सिंह, धनबाद, झारखंड।