एक महान कोरोना योद्धा = प्रीति पारीक

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एक महान कोरोना योद्धा = प्रीति पारीक

रोज सुनहरी बेला में,
हम सब घर में होते हैं ,
पापा आप हमारे लिए,
घर से बाहर होते हैं। 
 
रोज एक भय का कण ,
दिल में कहीं चुभता है ,
मेरे जीवन दाता को,
कितना सहना पड़ता है।
 
हमारे लिए पूरे दिन ,
पहन मुखौटा रहते हो ,
उससे बने निशानों को ,
शाम को मरहम देते हो।

हमें कुछ ना हो जाए,
हमसे दूर रहते हो,
हमारे लिए "पापा" आप ,
कितने सहमें रहते हो।

आप एक महान योद्धा हो,
जिसके सहारे हम चलते हैं ,
आप हमेशा स्वस्थ रहें,
यही जपते रहते हैं ।
= प्रीति पारीक , जयपुर