जिंदगी सफर है - अनिरुद्ध कुमार
Feb 6, 2025, 22:04 IST
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बंदिशों का ये शहर है।
रौशनी पे हर नजर है।
चाहतों काभी असर है।
बात में सबके जहर है।।
ठोकते सारे जिगर है।
ना कहीं कोई कसर है।
चाल में सबके लहर है।
जा रहें अपनी डगर है।।
राह में देखो कहर है।
गम नहीं चाहे ग़दर है।।
चोट खाने को जिगर है।
आफतों में भी बसर है।
आदमी कितना निडर है।
हर बला से बेफिकर है
पूछता मंजिल किधर है
जिंदगी जानों सफर है
- अनिरुद्ध कुमार सिंह
धनबाद, झारखंड।